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जानिए, कैसे कैशलेस की आड़ में दुकानदार काट रहे आपकी जेब

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जानिए, कैसे कैशलेस की आड़ में दुकानदार काट रहे आपकी जेब

केंद्र सरकार की कैशलेस मुहिम को राजधानी देहरादून के दुकानदार बट्टा लगा रहे हैं। मैक्सिमम रिटेल प्राइज (एमआरपी) से अधिक पैसा वसूलने की वजह से लोग कार्ड से पेमेंट करने में कतराने लगे हैं। देहरादून में तमाम दुकानदार ऐसे हैं, जो बैंक चार्ज के नाम पर ग्राहकों से अवैध वसूली कर रहे हैं।
 
खुड़बुड़ा निवासी अमित नेगी ने दूध की डेयरी से 100 रुपये का पनीर खरीदा। उनके पास कैश नहीं था तो कार्ड स्वैप कराया। दुकानदार ने 100 रुपये के पनीर के बदले उनसे 105 रुपये स्वैप किए। इसकी वजह पूछी तो बताया कि यह बैंक का चार्ज है।
 
आशीर्वाद एनक्लेव निवासी सुनील ने सर्वे चौक स्थित एक दुकान से जैकेट खरीदी। जैकेट का दाम 3500 रुपए था। सुनील ने जब डेबिट कार्ड से स्वैप किया तो उनसे एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स के नाम पर 3535 रुपये लिए गए। जब उन्होंने वजह पूछी तो बताया गया कि यह स्वैपिंग का चार्ज है।
 
नोटबंदी और बैंकों में कैश की किल्लत के बीच केंद्र सरकार ने कैशलेस अभियान शुरू किया। इसके तहत ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन, कार्ड स्वैपिंग जैसे माध्यमों से भुगतान पर जोर दिया जा रहा है। कैश की कमी और कारोबार ठप होने के बाद छोटे दुकानदारों तक कार्ड स्वैपिंग मशीनें पहुंच गईं।
 
इस मशीन का हर महीने का किराया संबंधित बैंक वसूलता है, लेकिन बैंक चार्ज के नाम पर दुकानदार ग्राहकों से जमकर वसूली कर रहे हैं। हालात यह हैं कि महज 100 रुपये के सामान को अगर कार्ड पेमेंट से खरीदा जाए तो उसमें भी पांच रुपये तक वसूले जा रहे हैं। 
 
अगर आप भी कहीं अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने जा रहे हैं और व्यापारी आपसे एमआरपी से अधिक वसूली कर रहा है तो एक बार उसका बिल जरूर ले लें। इससे भविष्य में आपको शिकायत करने या अपना हक पाने में सहूलियत होगी।
 
सरकार ने फिलहाल बैंकों में कार्ड से पेमेंट करने पर कोई चार्ज नहीं लगाया है। पीएनबी के मंडल प्रमुख अनिल कुमार खोसला ने बताया कि बैंक केवल कार्ड स्वैपिंग मशीन का मंथली रेंटल लेते हैं। उन्होंने बताया कि अगर कोई ऐसे वसूली कर रहा है तो वह सरासर गलत है।

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